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अभी सीख रहा हूँ

सतीश शुक्ला 'रक़ीब'

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15961
आईएसबीएन :978-1-61301-719-7

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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' का दूसरा ग़ज़ल संग्रह

अनुक्रम


ग़ज़ल

 1  उर्दू है मिरी जान अभी सीख रहा हूँ 16
 2  अभावों से ग्रसित ये बस्तियाँ हैं 17
 3  चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है 18
 4  लोकप्रिय साहित्य को जब हम समर्पित हो गये 19
 5  है आदि काल से मानव का आचरण मित्रो 20
 6  फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं 21
 7  अन्जान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे 22
 8  हुआ था प्यार जैसा अजनबी से 23
 9  बिन तुम्हारे मिरा अब गुज़ारा नहीं 24
 10  देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया 25
 11  भटका हुआ था, राहनुमा मिल गया मुझे 26
 12  दिलों पर वार करने वालों को क़ातिल समझ लेना 27
 13  जब प्यार तिरा मुझको मयस्सर न हुआ था 28
 14  जवाँ वतन पे हमेशा निसार होते हैं 29
 15  जी में आया है, मुझे आज वो, कर जाने दे 30
 16  क्यों झूठ कहा हमसे, हम प्यार निभायेंगे 31
 17  मिलती नहीं है चाल कोई मेरी चाल से 32
 18  ज़िन्दगी यह काग़ज़ी है क्या करूँ 33
 19  मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा 34
 20  पास आने की बात करते हैं  35
 21  राहे-वफ़ा में जब भी कोई आदमी चले 36
 22  तुझको दिलबर तो मिला था, क्या हुआ 37
 23  तेरी यादें हैं सहारा मिरी तन्हाई का 38
 24  बढ़ाता हौसला कोई तो तूफ़ाँ से गुज़र जाते 39
 25  ज़िन्दगी तेरी कहानी भी कहानी है कोई 40
 26  किसी ने आपसे पहले दिया कब 41
 27  वो जुदा हो के रह न पाया है 42
 28  वस्ल की ख़्वाहिश, रात न पूछो 43
 29  ख़ुशी हो तो घर उनके हम कभी जाया नहीं करते  44
 30  इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही  45
 31  यूँ तो लोगों के बीच रहता हूँ 47
 32  मौत इक दिखावा है मर के भी नहीं मरते 48
 33  ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हुई ये चिड़ियाँ कब तक 49
 34  जिगर से गर जिगर ख़ुद का, मिला देते तो अच्छा था 50
 35  मुझे कोई परेशानी नहीं है 51
 36  राहे वफ़ा में जो चलता है तनहा तनहा 52
 37  रत्ती भर झूठ नहीं इसमें, सपनों में मेरे आते हो तुम 53
 38  सच कहता हूँ पानी कि फ़ितरत में रवानी है 54
 39  वो पास अगर मेरे होती, भर लेता उसे मैं बाहों में 55
 40  लौट कर आना था, लो आ गया, आने वाला 56
 41  जब भी तू मेहरबान होता है 57
 42  जो कहते थे के देंगे जान भी हम प्यार की ख़ातिर 58
 43  दर्दे-दिल सब के रुख़ से अयां है यमन 59
 44  दूर रहना तो अब दूर की बात है 60
 45  तेरी बातें मैंने मानी  61
 46  आई तो है उसकी सांसों की ख़ुश्बू गुलशन के फूलों में 62
 47  आँचल जब भी लहराते हो 63
 48  अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा 64
 49  मिलकर आओ हम सैर करें, इस मेगामॉल में निफ़्टी की 65
 50  मेहनत से तू यारी रख  67
 51  ये न हरगिज़ सोचना तुम, हम कमाने आए हैं 68
 52  तीन दिन में आपको दुनिया दिखाने आए हैं 69
 53  हम कहते हैं बात बराबर 70
 54  शहीदे वतन का नहीं कोई सानी  71
 55  तुम लाजवाब थे, अब भी लाजवाब हो 72
 56  कल जो कहते रहे आयेंगे न जाने वाले 73
गीत
 1 मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है 76
 2 छा जाए घटा जब ज़ुल्फ़ों की 77
 3 आज़ादी की सालगिरह पर, तुम सबका अभिनन्दन है 78
 4  करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी 79
 5 नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है 80
क़तआत और तन्हा अश'आर 81
'सुहबतें फ़क़ीरों की' पर रायशुमारी 89

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    अनुक्रम

  1. उर्दू ग़ज़लों के शैदाई और दिलदादा सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
  2. अपनी बात . . .
  3. अनुक्रम

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